पैग़ंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का जीवन

पैग़ंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का जीवन

  • Apr 14, 2020
  • Qurban Ali
  • Tuesday, 9:45 AM

पैग़ंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का जन्म मक्का में ५७० ईस्वी के आसपास हुआ था। चूँकि उनके पिता अब्दुल्ला की मृत्यु पैगम्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जन्म से पहले ही हो गई थी और उनकी माँ अमीना की भी मृत्यु जल्द ही हो गई थी, उसके बाद उनका पालन-पोषण उनके चाचा अबू तालिब ने किया, जो कुरैश की सम्मानित जनजाति से थे। चालीस साल की उम्र में, मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने जिब्राइल नामक फ़रिश्ते के माध्यम से अल्लाह से अपना पहला रहस्योद्घाटन किया जो की तेईस साल तक जारी रहे, और वे पवित्र कुरान के रूप में एक साथ संकलित किये गए हैं। जैसे ही पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कुरान का पाठ करना शुरू किया जो अल्लाह ने उन्हें बताया था तब उन्होंने और उनके अनुयायियों ने अविश्वासियों से उत्पीड़न का सामना किया और यह इतना भड़क गया कि अल्लाह ने उन्हें मक्का से मदीना जाने की आज्ञा दी जो मुस्लिम कैलेंडर की शुरुआत का प्रतीक है। कई वर्षों के बाद, पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अनुयायियों के साथ मक्का वापस आये और अपने दुश्मनों को माफ कर दिया। पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की मृत्यु ६०- ६१ वर्ष की आयु में हुई थी, लेकिन उनकी मृत्यु से पहले अरब प्रायद्वीप का बड़ा हिस्सा मुस्लिम बन चुका था और उनकी मृत्यु के एक सदी के भीतर इस्लाम पश्चिम में स्पेन और पूर्व में चीन तक फैल गया। इस्लाम के तेजी से प्रसार के पीछे का कारण उसके सिद्धांत की सच्चाई और स्पष्टता थी। इस्लाम का मानना है कि अल्लाह ही इबादत के लायक है। पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ईमानदार, दयालु, सच्चे और एक बहादुर इंसान होने का एक आदर्श उदाहरण था। अपने सभी कार्यों और व्यवहारों में, पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हमेशा अल्लाह के प्रति संवेदनशील और भयभीत रहते थे।

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